पहली बार मैने किसी चीज़ को अपने शरीर के एक नाज़ुक भाग के अंदर शरत करते महसूस किया था. मेरे पावं हल्के हो गये और एक पल के लिए मेरे होश उड़ गये, चेहरे का रंग एक दूं फीका पद गया, गला सुख गया. मैं लड़खड़ा कर गिरने लगी, पर फिर बस की सीट पर लगी सपोर्ट को पकड़ कर अपने आप को संभाला. मेरे हाथ कांप रहे थे. लड़कियों ने पूछ, “मा’आम आप ठीक तो हैं?”“हन मैं ठीक हूँ,” मैने कहा. लेकिन मेरे चेहरे के उतरे रंग को देख कर मेरे साथी टीचर्स ने जब यही सवाल मुझसे पूछा तो मैने कहा के शायद मुझे बुखार हो रहा है. उस दिन रात को देर तक मुझे नींद नहीं आई. सारी रात मुझे मेरे चुट्त्रों के बीच वो चीज़ सरक्ति महसूस होती रही. मैं अगले 2 दिन स्कूल नहीं गयी. बेमर होने का बहाना कर दिया.जिस दिन मैं स्कूल गयी भी उस दिन मैं आयेज अपनी सीट पर जा कर चुप छाप बेत गयी. desibees
तो वो लड़कियाँ उतरे से चेहरे के साथ मेरी तरफ देखती रही. और जब वो दोनो बस से उतरी तो दोनों की आँखें भारी हुई थी. मुझे टीचर्स ने भी पूछ, “आज अपने स्टूडेंट्स के साथ खरे नहीं होना क्या? क्या बात है? सब ठीक है?”“सब ठीक है, बस थोड़ी वीक्नेस्स लग रही है,” मैने बहाना किया.अगले दिन वो लड़कियाँ फिर मेरे पास आई और मुझसे बोली, “मा’आम आपको क्या हुआ? मा’आम जब से अपने हमारे साथ खरे होना बंद किया है उन लोगों ने हमें फिर तंग करना शुरू कर दिया. जब आप हमारे साथ खरी होती थी तब सब ठीक था. मा’आम आप प्लीज़ हमारे साथ पीछे खरी हो जया कीजिए! प्लीज़!”मैने कहा, “अछा ठीक है!” और वो चली गयी.
लेकिन मैं सारा दिन टेन्षन में रही और उस दिन का वाकेया याद करती रही. शाम को किसी तरहा हिमत जुटा कर में पीछे जा कर खड़े हो गये. लघ भाग सारा सफ़र आराम से काट गया और मैं इतमीनान से हो गयी लेकिन मेरा स्टॉप आने से 2 मिनिट पहले ही किसी ने फिर पीछे से मेरे चुट्त्रों में हाथ दे दिया और इस दफ़ा अची तरह एक झटके में मेरे चुट्त्रों के बीचो बीच नीचे से सरकते हुए उपर तक ले गया. मैं एक दम से पीछे पलटी तो सभी लड़के इधर उधर देख रहे थे और मुझे पता भी नही चला के ये किसने किया है. मेरे साथ खड़ी लड़कियों ने पूछा, “मा’आम सब ठीक है?”“हन!” मैने जवाब दिया. उस रात मैं गुस्से से भारी सो भी ना पाई. अगले दिन क्लास में जाते ही मैने उन चारों की खूब पिटाई की और इस दफ़ा मैने क्लास के पूछने पर कहा के इन लोगों ने कितने दिनों से मुझे कम नहीं दिखाया.उस शाम बस में चड़ते ही जब लड़कियों ने मुझे पीछे बुल्लाया तो मैं कॉन्फिडेन्स के साथ उन लड़कों को घुरती हुई पीछे जा कर खड़ी हो गयी. अब इतनी बुरी तरह पिटाई होने के बाद भला वो क्यों नहीं सुधरेंगे. पर बस चलने के थोड़ी देर बाद ही किसी ने मेरे चुट्त्रों में फिर हाथ दिया. जब मैने पीछे मूर कर देखा तो इस बार चारों ने मेरी आँखों में देखा और मुस्करा पड़े.
मैं आयेज देखने लगी. कुछ पल बाद उन्होने फिर मेरे चुटटरों में हाथ दिया तो इस दफ़ा में तोड़ा सरक कर आयेज हो गये. उन्होने ने फिर हाथ दिया तो मैं तोड़ा और आयेज सरक गयी. ऐसा 4-5 बार हुआ.सारी रात मुझे मेरे चुट्त्रों में उनके हाथ ही महसूस होते रहे. अगले दिन मैने फिर उनकी पिटाई कर दी और बहन बनाया के इन्होने अभी भी मुझे कम नहीं दिखाया. शाम को बस में इस बार उन्होने मुझे छुआ भी नहीं. मैं बहुत खुश थी. सब ठीक चलने लगा. लेकिन कुछ दिन बाद फिर एक दिन बस में उन्होने मेरी गांद में हाथ डाला तो मैं तोड़ा आगे सर्की. लड़कियों के पूछने पर के क्या हुआ मैने कहा के कुछ नहीं. लेकिन अब मुझे गुस्सा आ गया था. desibees
मैने तन ली के अब की बार मैं आयेज नहीं सर्कुंगी और डेक्त्ी हूँ इनमे कितनी हिमत है. आख़िर कब तक ये ऐसे ही उंगली देते रहेंगे. इस बार जब मेरे चुटटर में क़िस्सी ने हाथ दिया तो मैने वाहँसे नहीं हिल्ली. उसने 2-3 बार फिर हाथ दिया तो भी मैं नहीं हिल्ली. तो इस पर उसने हाथ मेरे चुटटरों पर टीका कर ही रख लिया और मैने भी अपने चुट्त्रों के बीच उसे दबा लिया. 2 मिनिट तक ना वो हिल्ला ना मैं. जब मैने फीचे देखा तो उनमे से सब से ज़्यादा बिग्रा लड़का मेरे पीछे खरा था. मेरे पीछे मूरने पर भी उसने हाथ नहीं हटाया बलके उसे सरकता हुआ मेरी टाँगों के बीच नएचए मेरी योनि तक ले गया और उसे स्पराश किया. मेरे एक बार फिर रोंगटे खरे हो गये और मेरा रंग उर गया. मेरे पायट मे बाल सा पड़ा और ऐसा लगा
जैसे मेरे पेट के अंदर कोई नाल खुल गया हो. अब मैं जाँचुकी हूँ के उस पल मैं पहली बार झारी थी. और झरने के बाद मुझे अचानक ही बहुत अछा सा लगा और मेरा रंग फिर ठीक हो गया.उस रात मैं बार बार बस का सीन याद कर सोचती रही. मैने पहली बार अपने सारे कपड़े उत्तर कर अपने योनि को स्पराश किया. जब मैं सोई तो सुपने में मुझे वोही बस में उस लड़के बार बार मेरी योनि को चुना ही दिखाई दिया और में सोते हुए भी दो बार झार गयी.पर टीचर हूँ इस लिए रुआब रखना भी ज़रूरी है. इस लिए पहली बार ना चाहते हुए मैने उनकी पिटाई की और मुझे मान में बहुत अफ़सोस हुआ.उस दिन जब बस में गये तो उन्होने मुझे नहीं छुआ. 3-4 दिन तक उन्होने मुझे नहीं छुआ. पर पता नहीं क्यों अब पहली बार मैं चाहती थी के वो मुझे छुएँ.एक दिन बहुत बारिश पद रही थी तो स्कूल में बच कम आए थे तो स्कूल मैं जल्दी छुट्टी हो गयी. उस दिन बस में भीर नहीं थी. मैं और लड़कियाँ आसानी से कहीं भी खरे हो सकती थी लेकिन पता नहीं क्यों हम तीनों पीछे उन्हीं लड़कों के पास जा कर खड़ी हो गयी.
शायद मैं चाहती थी की वो मुझे छुएँ. पहली बार मुझे महसूस हुआ था के इक लड़के के स्पर्श में क्या जादू होता है. पर भीर ना होने की वजह से वो हम से तोड़ा पीछे खरे थे. पर बस चलने के थोड़ी देर बाद ही वो हमारे नज़दीक आ गये. मैं लड़कियों से बातीं करने में बिज़ी थी इस लिए हुमें पता नही चला. अचानक मुझे महसूस हुआ के कोई लड़का एक दूं मेरे साथ चिपक कर खड़ा हो गया हो. मैने पीछे देखा तो वो बोला, “मा’आम आप ज़्यादा पीछे आ गये हैं तोड़ा आयेज सरक सकती हैं.” उस पल मेरा ध्यान गया के दर असल मैं और लड़कियाँ ही आपस में बातें करते हुए पीछे उन लड़कों तक सरक गयी थी, मैं और लड़कियाँ इक दूसरे की तरफ देख कर शाम से मानो पानी पानी हो गयी. तब मुझे एहसास हुआ के मुझे और इन लड़कियों को इन लड़कों से उंगली करवाना अछा लगता है.हम तोड़ा सा आयेज सर्किन तो इस बार वो लड़के भी आयेज सरके और एक लड़के ने हल्के से मेरी गांद में हाथ दे दिया. मैं भी इस बार तोड़ा पीछे सरक गयी ता के उस का हाथ अची तरहा मेरी गांद में घुस जाए. मैने अपने चुट्त्रों को तोड़ा खोला फिर बंद किया. desibees sexy story