बात उन दिनों की है जब मुंबई में दंगे चल रहे थे। पुणे में भी कुछ दिनों के लिए बस सर्विस बंद थी। मैं उन दिनों पुणे के लिए एक बस में चली। बस में मेरी बगल में उषा नाम की आंटी बैठी थीं। उषा आंटी से मेरी अच्छी जान पहचान हो गई। Is sex kahani me padhiye sex desi kahani me chudai hui mast mote chuche wali aunty ki jiski moti gand ko dekhkar mera lund khada ho gaya!
बस बड़ी धीरे सफर कर रही थी। शाम के 2 बजे बस ख़राब हो गई। बस वाले ने कहा अब बस नहीं चलेगी। पुणे ४० किमी दूर था। बस में मैं और आंटी ही अकेली औरतें थीं। मैं घबरा रही थी बस में कुछ गुण्डे टाइप लोग भी थे जो रास्ते भर हमें गंदे गंदे इशारे कर रहे थे।
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आंटी मुझसे बोली- मैंने टैक्सी बुलाई है, तुम पुणे तक साथ चल सकती हो लेकिन उसके आगे रास्ते बंद हैं। मैं खुश हो गयी, मैंने कहा- आंटी मैं आपके साथ रुक जाऊंगी।
आंटी बोली ठीक है लेकिन मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूँ।
आंटी ने कहा- बेटी, मैं एक कोठे की मालकिन हूँ मेरा कोठा बुधवार पेठ में है वहाँ पर ५० -६० लड़कियां धंधा करती हैं। पूरे दिन रात उनकी चुदाई होती है।
पर यह मेरा वादा है कि अगर तुम मेरे साथ चलोगी तो तुम्हारी मर्जी के बिना मैं तुम्हारी चुदाई तो नहीं होने दूंगी लेकिन तुम्हारी चूची और चूतड़ दब सकते हैं, मतलब तुम्हारी जवानी लुटेगी तो नहीं लेकिन मेरे गुंडे मस्ती करने से बाज़ नही आयेंगे। बाकी अगर कहीं और रूकती हो तो जवानी लुट भी जायेगी और ब्लू फ़िल्म अलग से बन जायेगी, मुझे पुणे का सब पता है, वैसे तुम शादीशुदा हो कोठे पे छेड़छाड़ से मजा ही आएगा।
आंटी की बात सुन मैं डर गई लेकिन मेरी चूत में खुजली सी भी मची कि कोठे की मस्ती में मज़ा तो बहुत आएगा।
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मैंने- कहा आंटी, यहाँ चूत तो चुदेगी ही, जान का भी खतरा है। यह बस के ही लोग मुझे चौद डालेंगे, सब गुण्डे टाइप लग रहे हैं। आप ले चलो, कोठे पे ही सही।
थोड़ी देर में आंटी की टैक्सी आ गई। हम उसमें बैठ गए। आंटी ने पुणे से ५-६ किलोमीटर पहले ही मुझे बुरका पहना दिया और ख़ुद भी बुरका पहन लिया।
शाम ४ बजे हम बुधवार पेठ में आंटी के कोठे पे थे। कोठे पे हमारे घुसते ही एक मुस्टंडे ने मेरे चूतड़ पीछे से दबा दिए और बोला- मौसी माल तो बड़ा तगड़ा लायी हो, आज्ञा हो तो नंगा कर दूँ कुतिया को।
मौसी ने कहा- हरामी हाथ मत लगाइयो, मेहमान है, चल बेटी अंदर चलें।
अंदर रंडियाँ अर्द्धनग्न खड़ी थी कुछ पेटीकोट और आधे से ज्यादा खुले ब्लाऊज़ पहने थी.
मौसी मुझे चौंकते देख कर बोली- अरे चौंक क्यों रही है यह कोठा है, रात को दिखाउंगी कैसे यह रंडियाँ ६-६ लंड खाती हैं. आ चल थोड़ा फ्री हो लें। तुझे भी तो थोड़ी रंडीबाजी सिखा दूँगी, ताकि तुझे याद तो रहे की कभी कोठे की सैर भी की थी। घबरा मत तेरी चूत तभी चुदेगी जब तू चाहेगी लेकिन मर्दों के लंड तो पकड़ ही सकती है और चूची चूतड़ तो दबवा ही सकती है। रोज रोज एस मस्ती तो नही मिलेगी। परमानेंट रंडी बनने में तो प्रॉब्लम हैं लेकिन एक दिन रंडीबाजी करने में तो मज़ा ही मज़ा है।
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मौसी की बात मुझे कुछ सही लगी। मैं और आंटी अब आंटी के कमरे में आ गई थी। कमरा फाइव स्टार जैसा था। आंटी ने अपनी साड़ी ब्लाउज उतार दिया। आंटी की चूचियां पपीते जैसे लटक रहीं थी, आंटी सिर्फ़ पेटीकोट पहने थीं। आंटी ने घंटी बजाई, एक मुस्टंडा अंदर आया, आंटी बोली- कालू जरा पानी-वाणी पिला !
आंटी मुझे देखकर मुस्करा कर बोली- शरमा रही है, अभी तुझे नंगा कराती हूँ, कोठे की मस्ती तो चख ले।
मैंने कहा- नहीं मौसी, मुझे नंगा नही होना !
मौसी मुस्कराईं, बोली- हमारा वादा केवल तेरी चुदाई न होने तक का है।
कालू पानी लेकर आ गया। हम दोनों को बड़े प्यार से उसने पानी पिलाया. मौसी बोली- अबे कालू तेरी मौसी नंगी खड़ी हैं और साली यह हरामन कपड़े पहने हुए है, चल जरा इसे नंगा तो कर।
कालू ने एक झटके में मेरी साड़ी खींच दी और मेरा ब्लाउज हाथ से खींच कर फाड़ दिया। मेरी ब्रा आधी लटक गई जिसे उसने एक झटके में उतार दिया। अब मैं पेटीकोट में थी, यह सब कुछ सेकंड में ही हो गया मैं विरोध भी नहीं कर पाई। कालू पेटीकोट भी फाड़ने वाला था लेकिन मौसी ने इशारे से उसे बाहर भेज दिया।
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मेरी संतरे जैसी चुचियों पर मौसी ने हाथ फिराकर कहा- माल तो बड़ा तगड़ा हैं तेरा ! एक रात के दस हज़ार तो आराम से लगेंगे, बोल चुदना है क्या पूरे दस तेरे ! मेरी चूत में हलचल हो रही थी।
मौसी ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और ख़ुद भी बगल में लेट गयीं, कहा- तुझे मैं कोठे की मस्ती करवाती हूँ, करके देख, कैसे रंडियां लोड़े से खेलती हैं, मर्दों की मुठ कैसे मारती हैं, लंड चूसती हैं तुझे सिखाती हूँ। चुदने का मन हो तो बताना चुदाई भी करवा दूँगी गांड और चूत दोनों की। फुल मस्ती कर आज रात जिन्दगी भर याद रहेगी।
मौसी की बातों से मुझे मस्ती आने लगी। मेरा मन मुस्टंडौं के सामने नंगी होने का करने लगा, मेरी चूत से भी पानी रिसने लगा था।
मौसी बोली- अब तू मेरे कोठे की रांड है, तेरी चूत और गांड तेरी मर्ज़ी पर छोड़ती हूँ, बाकी तेरे को आज की रात के लिये रंडी बनाती हूँ, समझी! रंडीबाजी का मतलब होता है नग्न अदायें दिखाना, नंगी चूचियां कर के कस्टमर से दबवानी, लंड चूसना, लोड़ों को हाथों से मसलना और लंड की मुठ मारनी, पूरी नंगी होकर चूत चुसवानी, बाकी बची चूत और गांड की चुदाई तो वह सब से आख़िर में आती है।
५ बज रहे थे, मौसी ने एक चुन्नी मेरे नग्न दूधों पे डाल दी और बोली- चल तेरा रंडियों जैसा सिंगार करवाती हूँ। मौसी मुझे सिंगार रूम में ले जाने लगीं रास्ते में मौसी के गुंडे घूम रहे थे। मेरी नग्न चूचियां सब घूर घूर कर देख रहे थे।
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सिंगार रूम का सीन बड़ा आकर्षक था। चार -पाँच रंडियाँ शीशे के सामने मेक अप कर रहीं थी, सभी टोपलेस थीं, कुछ नंगी होकर चूत में क्रीम लगा रहीं थीं। कुछ गुंडे टाइप लोग कमरे में घूम रहे थे। एक दो गुंडे रांडो की चूचियां मसल रहे थे। सीन बड़ा ही सेक्सी था।