तुम्हारे बिना नहीं रह सकती

मुझे बचपन से अपने माता पिता का प्यार नहीं मिल पाया क्योंकि मेरे पिताजी एक बिजनेसमैन है और मेरी मम्मी स्कूल में टीचर हैं इसलिए उन्होंने कभी मेरी तरफ ध्यान ही नहीं दिया मुझे हमेशा उन दोनों की कमी खलती रहती है। hamari kahaniya

उन्होंने मुझे कांता आंटी के हवाले बचपन में ही कर दिया था जानता था लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ा हुआ तो वह मुझे समझाने लगी और वह मुझे कहते कि तुम अब बड़े हो चुके हो उन्होंने ही मेरी जिम्मेदारी बचपन से लेकर अब तक संभाली है.

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आज मेरी उम्र 27 वर्ष हो चुकी है और मुझे अब भी अपने माता पिता का प्यार नहीं मिला। मैं हमेशा उनके प्यार के लिए तड़पता रहा और उनकी कमी मुझे हमेशा महसूस हुई बचपन में तो मुझे यह सब एहसास नहीं हुआ लेकिन अब मैं बड़ा हो गया हूं तो मुझे इस बात का बहुत दुख होता है कि उन्होंने मेरे साथ बचपन में वह समय नहीं बिताया जो मैं चाहता था।

मेरे लिए तो कांता आंटी की सब कुछ थी मैंने उन्हें बचपन से देखा है इसलिए मैं उनकी बहुत इज्जत करता हूं और उन्हें बहुत मानता हूं मुझे सिर्फ उन्हीं से डर लगता है और आज तक भी मैं उनसे डरता हूं। अब वह बूढ़ी हो चुके हैं और उन्होंने हमारे घर से काम भी छोड़ दिया है लेकिन मैं उनसे मिलने के लिए उनके घर पर अक्सर जाया करता हूं वह काफी गरीब है लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी।

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मैं जब भी उन्हें देखता हूं तो मुझे ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने जीवन के इतने साल मेरे लिए दिए हैं परंतु शायद हम लोग उन्हें कुछ भी नहीं दे पाए मेरे मन में उन्हें लेकर हमेशा से ही एक इज्जत थी और उनके लिए मेरी नजरों में एक सम्मान था। उनके पति भी बीमार रहते हैं उनकी दवाइयों में बहुत खर्चा होता है मैं उन्हें हमेशा कहता रहता कि जब मैं कमाने लगूंगा तो मैं ही आपके पति का इलाज करवाऊँगा लेकिन शायद यह सब मेरी किस्मत में नहीं था।

जब मैं कमाने लगा तो उस वक्त उनके पति की मृत्यु हो गई और वह काफी दुखी हुई उनके दो लड़के हैं उन्होंने भी उनका साथ छोड़ दिया और वह अब अकेली हो चुकी थी।

उन्हें बहुत दुख था और वह अपने दुख को किसी से भी बयां नहीं करती थी लेकिन जब भी मैं उन्हें मिलने उनके घर पर जाता तो वह हमेशा ही मुझसे कहती बेटा मेरे बच्चों ने मेरे साथ बहुत गलत किया और उन्होंने मेरा साथ छोड़ दिया अब मैं अकेली हो चुकी हूं। मुझे उनके दुख को देख कर बहुत बुरा लगता था और हमेशा ही मैं उनके बारे में सोचता तो मुझे और भी ज्यादा बुरा लगता लेकिन मैं अब कमाने लगा था तो मैं कुछ पैसे कांता आंटी को दे दिया करता था।

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इस बात का पता मैंने किसी को नहीं चलने दिया जब यह बात मेरे पापा को मालूम पड़ी तो पापा कहने लगे कांता जब तक तुम्हारी देखभाल किया करती थी तब तक हम लोग उसे पूरे पैसे देते थे और अब तुम्हें उसे पैसे देने की क्या जरूरत है लेकिन शायद मेरे पापा उनकी मजबूरी नहीं समझते थे। मुझे ही कांता आंटी की हिम्मत मालूम थी कि उन्होंने मेरे लिए कितना कुछ किया है और मेरी वजह से शायद वह अपने बच्चों का भी ध्यान नहीं दे पाए इसलिए वह भी अब उनका सम्मान नहीं करते हैं और उन्होंने उन्हें अकेला छोड़ दिया।

उन्होंने अपने जीवन में इतना कुछ अपने बच्चों के लिए किया लेकिन उसके बाद उनके बच्चों ने उनके साथ बहुत गलत किया मेरे पापा को शायद इस बात का एहसास नहीं था क्योंकि उन्हें तो सब कुछ थाली में परोसा हुआ मिल चुका था। मेरे दादाजी भी एक बड़े बिजनेसमैन थे और उनका काफी अच्छा नाम है इसी के चलते मेरे पिताजी को भी वह सब विरासत में मिला लेकिन मैं नहीं चाहता था कि मेरे ऊपर भी मेरे पापा का कोई एहसान रहे इसलिए मैं कंपनी में जॉब किया करता था।

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मेरे मम्मी पापा मुझे कई बार इस बात के लिए डांटते थे और कहते कि जो कुछ भी हमारा है वह सब तुम्हारा ही तो है लेकिन तुम तो ना जाने क्यों एक छोटी सी कंपनी में नौकरी कर रहे हो। मैंने उन्हें कहा कंपनी कोई छोटी बड़ी नहीं होती मुझे अपने बलबूते कुछ करना है यदि मैं आपसे ही पैसे लेकर या फिर पापा का बिजनेस जॉइन कर के उनका काम करूं तो शायद यह मेरे लिए अच्छा नहीं होगा मैं अपने ही बलबूते कुछ करना चाहता हूं।

इस बात को लेकर कई बार मेरे मम्मी पापा मुझे डांटा भी करते थे और मुझे इस बारे में कांता आंटी ने समझाया भी था और कहा बेटा तुम्हारे पापा का इतना अच्छा बिजनेस है तुम उसे क्यों नहीं संभाल लेते लेकिन मैं बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि मैं पापा का बिजनेस संभाल लूं।