हम तो आपका दूध पिएँगे

मैं- हाँ प्रिया जी मैं पक्का आऊँगा.. और वक्त पर आ जाऊँगा, पर अमदाबाद में आप कहाँ मिलोगी?

प्रिया- मैं अपना पता मैसेज करती हूँ.. वहाँ आ जाना, पास में ही है ज्यादा दूर नहीं है डियर।

मैं- ओके जी।

कुछ ही पलों में मुझे उनका पता मिल गया। फिर हमने रात को भी फोन से बात की और फिर मैंने शुक्रवार को 9 बजे को फ्लाइट पकड़ ली और अमदाबाद एक घंटे में ही पहुँच गया।

मैंने प्रिया को मैसेज किया- मैं अमदाबाद आ गया हूँ।

तो उन्होंने कहा- मैं घर पर इन्तजार कर रही हूँ, आप आ जाओ।

फिर मैंने बताए हुए पते पर पहुँच गया, वो एक फ्लैट था और मैं घर पर पहुँचते घन्टी बजा दी, एक मधुर सी आवाज़ आई- रूको, मैं आ रही हूँ आरके डार्लिंग..

जैसे उन्हें पता था कि दरवाजे पर मैं ही हूँ।

Antarvasna Mastram > मजा तो मुझे भी आ गया

फिर उन्होंने घर का दरवाजा खोला और कहा- आप आरके सिंह हैं ना?

मैंने कहा- हाँ प्रिया जी।

‘यात्रा कैसी रही?’

मैं- मस्त रही.. मैं ठीक वक्त पर आ गया… क्या घर में कोई नहीं है?

प्रिया- नहीं है, सब आउट ऑफ इंडिया रहते हैं मैं अकेली ही रहती हूँ जी।

मैं- ओह.. मुझे पता नहीं था, चलो अब आपका अकेलापन दूर हो जाएगा।

प्रिया- हा हा हा, आप जो आ गए हो।

प्रिया उस वक्त साड़ी पहने हुई थी.. हल्के नारंगी रंग की साड़ी में वो बहुत ही कामुक लग रही थी।

तब मैंने कहा- आप बहुत हॉट लग रही हो जी।

Antarvasna Mastram > ना चाहते हुए भी चूत मारता रहा

तब उन्होंने कहा- थैंक्स.. पर उस गर्मी को दूर करने के लिए ही तो आपको बुलाया है जी।

मैंने कहा- ओह हाँ..यह तो है।

फिर प्रिया ने कहा- आप थक चुके होंगे, मैं ज़रा पानी लेकर आती हूँ..

वो अन्दर जाने लगी और मैं प्रिया के पीछे चला गया, रसोई में पीछे से उसके मम्मों को पकड़ लिया और कहने लगा- पानी नहीं.. हम तो आपका दूध पिएँगे..

फिर मैं उसके मस्त मम्मों को दबाने लगा और ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा।

‘आआहह.. आरके आआह्ह्ह..’

फिर मैं उसके मम्मों को मसलता गया मसलता गया, करीबन 5 मिनट तक मसलने के बात पता चला कि वह बहुत गर्म हो गई थी और उसके कंठ से सिसकारी की आवाज़ निकल रही थी।

मैं अब भी उसके मम्मों को दबाता रहा, तभी उसने मेरे लंड पर हाथ रखा। मैंने जीन्स पहना था तो वो ऊपर से ही लंड को सहलाने लगी।

Antarvasna Mastram > दुख में यौवन का सहारा

कहानी अगले बाग़ में समाप्य।