सुहागरात भी तुम्हारे साथ मनाऊँगी

मैंने मना कर दिया?

किसके लिए?

मुझसे बार बार मत कहलवाओ ! मुझे शर्म आती है।

तभी तो शर्म दूर होगी।

अच्छा तो तुम नाराज हो !

मैंने मजाक में हाँ कह दिया।

उसने भी रुठने का चेहरा बना लिया।

मैं बोला- जानू मजाक कर रहा हूँ।

मुझे पता है ! अब जाओ !

नहीं गया तो?

मैं भी नहीं जाऊँगी।

कहते हुए बैठ गई।

तुम नहीं जाओगी?

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हाँ ! नहीं जाऊँगी।

यह तो अच्छा है।

जानू जाओ न प्लीज ! अलग सा चेहरा बनाकर बोली।

मुझे उसका चेहरा देखकर हँसी आ गई, मैं बोला- रोओ मत ! जा रहा हूँ !

मैं कहाँ रो रही हूँ?

ठीक है, चलो चलते हैं !

मैंने उसे चूमा और बाय कहकर चला आया

प्रेषक : राज कौशिक

जानू जाओ न प्लीज ! अलग सा चेहरा बनाकर बोली।

मुझे उसका चेहरा देखकर हँसी आ गई, मैं बोला- रोओ मत ! जा रहा हूँ !

मैं कहाँ रो रही हूँ?

ठीक है, चलो चलते हैं !

मैंने उसे चूमा और बाय कहकर चला आया।

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सुबह तैयार होकर स्कूल के लिए निकला। लक्ष्मी मेरा इन्तज़ार कर रही थी। वो भी साथ चलने लगी। बोली- जानू, लव यू !

लव यू टू !

फिर हम बातें करते रहे।

बातों ही बातों में उसने कहा- अगर तुम कल मेरे साथ सेक्स करते तो मैं तुमसे कभी बात नहीं करती।

हम जब भी मौका मिलता, आपस में मिलते और घण्टों तक एक दूसरे से लिपटे बातें करते रहते। मैं बस उसे चूमता और चूचियाँ ही दबाता था।

ऐसे ही एक साल निकल गया। मेरे इम्तिहान हो गये। बोर्ड परीक्षा में मैं प्रथम आया। इसलिए मुझे बाईक और मोबाईल मिल गया। मैंने सबसे पहले अपना नम्बर उसे ही दिया।

फिर मैं कालेज में आ गया। कई बार उसे घूमाने भी ले गया। यों ही दिन गुजरते गये। मैं बहुत खुश था। एक दिन लक्ष्मी का फोन आया, बोली- मुझे तुमसे बात करनी है !

मैं बोला- बोलो !

नहीं फोन पर नहीं !

तो?

तुम रात को 10.30 बजे आ जाना।

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मैंने कहा- इतनी देर से क्यों?

हम ज्यादातर 7-8 बजे मिलते थे।

वो बोली- बस तुम्हें आना है।

मुझे बेचैनी सी हो रही थी, इसलिए मैं 10 बजे ही खेत पर उस बैरनी के पेड के नीचे जा बैठा। मैं घरवालों से अलग सोता था इसलिए रात को निकलने में कोई परेशानी नहीं होती थी।सर्दियों के दिन थे, मैंने जीन्स की पैन्ट, शर्ट और जैकेट पहन रखे थे, फिर भी ठण्ड महसूस हो रही थी।

मैं वहाँ बैठा उसका इन्तजार कर रहा था। एक एक पल मुझ पर भारी पड़ रहा था।

चाँदनी रात थी पर थोड़ी धुन्ध होने के कारण उसका घर दिखाई नहीं दे रहा था। बीच में मैं उसके घर तक घूम आया था। सब लोग शायद सो चुके थे।

लगभग 11 बजे लक्ष्मी आ गई। उसे देखकर मैंने चैन की साँस ली। उसने काले रंग का कमीज़-सलवार और ऊपर शॉल ओढ़ रखी थी।

मैं उसे देखकर मुस्कराया, वो भी मुस्कराई और लव यू जान ! कहकर मेरे आगे पीठ करके बैठ गई। वो उदास लग रही थी।

मैंने कहा- हाँ बोलो जान ! क्या बात है?

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