प्रिय पाठको, को मैंने पिछली अन्तर्वासना कहानी में बताया था कैसे मैं नीलम रानी के साथ एक गेम में हार गया था, जिसके फलस्वरूप मुझे नीलम रानी से उसके स्टाइल में चुदना था। आशा करता हूँ के आपने इस रोचक सेक्स कहानी का पिछला भाग पढ़ा होगा.. अगर नहीं पढ़ा तो ज़रूर पढ़िए… अब आगे.. chudai kahani
मैं उसकी टांगों पर बैठा हुआ था, वो अपनी टांगें नहीं हिला पा रही थी, लेकिन वो अपना सिर दायें से बायें और फिर बायें से दायें कर रही थी।
Antarvasna Chudai kahani > सेक्सी नीलम रानी
उसने अपने हाथों से मेरी कलाइयाँ जकड़ रखी थीं। पता नहीं वो उन्हें रोकने के लिये जकड़े थी या उन्हें तेज़ करने के लिये।
नीलम रानी के रसीले होंठ हल्के हल्के कंपकंपा रहे थे, उसकी आँखें आधी खुली आधी मुंदी हुई थीं और उसके नथुने बीच बीच में फड़फड़ाने लगते थे।
इस समय नीलम रानी उत्तेजना की पराकाष्ठा पर पहुँच चुकी थी, मेरा खुद भी चुदास की तेज़ी से बुरा हाल हो रहा था।
लण्ड मेरी पैंट में फंसा हुआ बार बार आज़ाद होने की ज़िद कर रहा था।
अब समय आ गया था कि नीलम रानी को चोद दिया जाये।
मैंने झट से अपनी जीन्स की बेल्ट ढीली करी और कच्छे सहित उसे नीचे कर दिया, फनफनाता हुआ लौड़ा उछल कर तुनके पर तुनका मारने लगा।
मैंने नीलम रानी की टांगें चौड़ी कीं और लौड़े का सुपारा उसकी रसरसाती हुई चूत के मुँह पर रखा और धड़ाके से एक ही धक्के में पूरा का पूरा लण्ड नीलम रानी की चूत में पेल दिया।
चूत जूस से लबालब भरी हुई थी तो लण्ड घुसने के साथ ही ढेर सारा रस पिच्च….की आवाज़ करता हुआ बुर से बाहर निकल पड़ा।
Antarvasna Chudai kahani > तुम्हारे बिना नहीं रह सकती
नीलम रानी और मेरा लण्ड चूत के आस पास का सारा शरीर चूतरस से भीग गया।
नीलम रानी इतनी अधिक गर्म हो चुकी थी कि इधर लण्ड चूत में घुसा और उधर वो स्खलित हो गई।
चूत से गर्म गर्म जूस का एक तेज़ फुहारा छूटा और नीलम रानी ने सी…सी…सी… करते टांगें मेरी कमर में ज़ोर से लपेट लीं।
वो भूल चुकी थी कि मैं उसका बलात्कार कर रहा था।
मैं उसके पर लेट गया और बड़े प्यार से उसके कानों में फुसफुसा के बोला- रानी…देख लण्ड तेरी चूत में घुसा दिया..अब हो गया ना रेप भी और जंगलियों जैसी चुदाई भी….तुझे मज़ा आया या नहीं?
नीलम रानी ने कस के मुझे चिपटा लिया और लड़खड़ाती हुई आवाज़ में धीमे से बोली- हाँ हाँ राजे हाँ… बहुत मज़ा आया… राजा तू तो सचमुच में मेरा राजा है… अब चोद दे मुझे… बस देर न कर ज़रा भी… ज़ोर के धक्के ठोक के चूत फाड़ के रख दे!
मैंने अपने होंठ नीलम रानी के होंठों पर जमाकर उन्हें मज़े से चूसना शुरू कर दिया और उसके ऊपर पड़ा हुआ उसे रगड़ रगड़ के धक्के लगा कर चोदने लगा।
Antarvasna Chudai kahani > बर्थडे का विशेष उपहार
नीलम रानी ने अपनी टांगें मेरी कमर से ज़ोरों से लिपटा रखी थीं और उसने अपनी बाहों से मेरे सिर को दबोच रखा था ताकि मैं पूरी ताक़त से अपने होंठों से उसका मुँह चूसूँ।
मैं अपने शरीर से नीलम रानी के नाज़ुक, चिकने बदन को कस कस के रगड़ रहा था। मैं अपनी छाती को गोल गोल घुमाकर नीलम रानी के मस्त चूचे मसलता, फिर उसके होंठ चूसता और फिर यकायक से कभी हौले से, तो कभी बड़े ज़ोर का धक्का मार देता।
नीलम रानी इतनी अधिक मतवाली हो चली थी कि हर धक्के में वो ज़ोरों से स्खलित होती।
स्खलित होते ही उसकी मस्ताई बुर से गर्म रस की एक पिचकारी सी छूटती जो हम दोनों के गुप्तांगों के चारों तरफ का बदन भिगो देती।
बिस्तर की चादर भी भीग चली थी…
इतना ज़्यादा नीलम रानी को झड़ते पहले कभी नहीं देखा था।
नीलम रानी को शायद अपने नक़ली बलात्कार में बेहद मज़ा आया था जिस की वजह से वो चरम सीमा तक पहुँच कर वहीं मंडरा रही थी।
हर धक्का उसे झाड़ देता।
हल्के धक्के में फच्च की आवाज़ निकलती जैसे ही लौड़ा चूत में घुसता और तगड़े धक्का ठोकने पर पिच्चच्च्…की आवाज़ निकलती और दोनों वक़्त काफी सारा चूतरस बाहर को फव्वारे की माफिक छूटता।
Antarvasna Chudai kahani > मजा तो मुझे भी आ गया
नीलम रानी मस्ती के नशे में चूर मेरी कमर में लिपटी अपनी टांगें कभी ढीली करती और फिर दुबारा कस के टाइट कर लेती।
वो अब अपने मुँह से भैं…भैं… भैं… का शब्द निकाले जा रही थी।
उसके मुँह से लार टपक रही थी।
मैंने लौड़े को बाहर खींचा और सिर्फ टोपा भीतर छोड़कर पूरा लण्ड बाहर ले लिया। फिर मैंने टोपे को चूत के अंदर गोल गोल घुमाना शुरू किया।
एक बार एक तरफ फिर दूसरी तरफ।
नीलम रानी मज़े में चीख उठी।
उसने अपने हाथों के नाखून मेरी बाहों में गाड़ दिये और ज़ोर से कई खरोंचें दनादन मारीं। साथ साथ उसने ऊँची आवाज़ में कई किलकारियाँ भी मारीं।
मुझे डर लगा कहीं होटल में और लोग ना सुन लें कि इस रूम में चुदाई का ज़ोरदार खेल चल रहा है।
मैंने टोपा घुमाना बंद कर दिया और बिल्कुल शांत हो कर बस तुनके मारने शुरू कर दिये।
Antarvasna Chudai kahani > दुख में यौवन का सहारा