दोस्तो मेरा नाम अजय है और मै रांची का रहने वाला हूँ। मेरा उम्र 19 साल का है और ये कहानी 2 महीने पहले की है। मैं बहुत है मेहनती लड़का हूँ, पढ़ाई लेकर हर काम मे मैं भरपूर मेहनत करता हूँ। मेरे घर मे मैं ,मेरे पापा, दादा, दादी और मेरी माँ है। मैं एकलौता हूँ। पापा का दुकान है दिल्ली मे और वो महीने मे कभी कभी आते है। मेरा परिवार बहुत हि सभ्य परिवार है। mom sex
मेरी माँ बहुत हि सुंदर है उनका नाम राजो है, और बदन कसि हुई है मानो जवानी उफान मार रही हो , उनकी उम्र 38 साल है। वो बहुत हि गुस्सैल है लेकिन अच्छी भी, वो कभी किसी गैर मर्द से बात नही करती।ये मेरी माँ और मेरे बीच हुई यौन सम्बन्ध के बारे मे है।
दादा दादी अक्सर दिन मे पड़ोसियों के घर रहते और गप्पे लगाते रहते। घर के कामो मे मैं मदद कर दिया करता था, कोई भी गलती होने पर माँ मुझे डाँट देती। मुझे भी गुस्सा आता था लेकिन वो सुंदर इतनी थी क़ि मैं उसे कुछ नही बोलता।आप यह कहानी अन्तर्वासना सेक्स काहनी डॉट नेट पर पढ़ रहे है। sex mom
एक दिन की बात है, दिन के 3 बज रहे थे मैंने देखा माँ बाहर वाली बाथरूम मे नहा रही थी और मेरे मन मे गंदी खयाल आगयी। मैंने बगल से एक कुर्सी लिया और दीवार की ऊपरी वेंडीलटर से अंदर झांकने की कोसिस किया तो देखा वो नंगी नह रही थी ओह माय गोड! किया मस्त बूब्स थे। इतने मे वो मुझे दीवार की दूसरी साईड मे लगी आएने मे देख ली मुझे पता नही चला और वो जल्दी मे एक टॉवेल लपेट के अचानक बाहर आगयी फिर मैं पकरा चला गया। सीधे एक जोरदार थापर मेरे गाल मे जर दी।
माँ- (गुस्से मे) ये क्या गंदी हरकत है तुम्हारा। शर्म नही आती? माँ हूँ तुम्हारा। mom sex kahani
इतने मे वो दूसरे थापर मुझे जरने वाली थी क़ि मैंने उनकी कमर को पकर के नज़दीक खीच लिया और बाहों के करीब ले लिया। वो अपने आपको मेरे कैद से छुड़ाने की कोसिस की लेकिन नाकाम रही।
मैं- (हवस भारी आवाज मे और सांसे तेज) माँ मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो, बस एक बार माँ बस एक बार।
माँ की आंखो मे आंसू थी और बातो मे गुस्सा। उसके सक्त मम्मे मेरे सीने से रगर खा रही थी और लपेटी हुई टॉवेल ढीली पर रही थी।
माँ- ( दबे आवाज मे चीख के बोली) तुम्हारे पापा को पता चलेगा तो तम्हे मार देगा। तेरी माँ हूँ मैं, भ्रस्ट हो गयी है तुम्हारी बुद्धि किया। आः…. छोरो … तुम बेटे कहने के लायक नही हो।
मैंने माँ को किस कर लिया और साथ ही सॉरी भी कहने लगा। sex mom ke saath
मैं- माँ तुम्हे जो कहना है केह लो लेकिन, आज मुझे तुम मत रोको। तुम्हारी ये उभरी हुई चुतर मैं जब भी देखता हूँ पागल हो जाता हूँ। मुझे माफ़ करो माँ इस घहरकत के लिए।
मैंने माँ को जबरदस्ती कंधो मे उठाया और बेड रूम लेकर चला गया। वो मुझे मुक्के मार रही थी लेकिन मुझ पर कोई असर नही हो रहा था, उनकी ज्यादा मेरे कैद से छुड़ाने की कोसिस के कारण टॉवेल खुल गयी। माँ कसम क्या लग रही थी कयामत थी वो बिल्कुल नंगी। एक सीधी सादी माँ और खूबसूरती की बहार थी वो। पेट मे हल्की मांस थी लेकिन सेक्सि थी। ज्यो हि मैंने उसे बिस्तर पर पटका वो उठ के बैठ गयी। मैंने अपना लूज़ पैंट खोला। तो मेरा 5 इंच का लण्ड बिल्कुल करक था। उसकी नज़र मेरी लण्ड पर परी।
माँ- (गिड़गिड़ाते हुए) नही… नही नही… ये नही हो सकता ये गलत है।
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मैं- माँ प्लीज़ माँ कुछ भी गलत नही है। सॉरी माँ।
मैं माँ के तरफ झपटा और एक हाथ से उसकी दोनो कलाई पकर के बिस्तर पर दबा दिया और अपने जांघो के बीच कैद कर लिए। दूसरे हाथ से उनकी शक्त चुचियो को सहलाते हुए निप्पल को मसलने लगा। जब मेरा लण्ड उसके सरीर से टक्कर खाता तो वो कसमसा जाती। मुझे बहुत आनंद आरहा था। और मैं उसे किस करने लगा।आप यह कहानी अन्तर्वासना सेक्स काहनी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।