मेरी पत्नी कंचन का बर्थडे नजदीक आने वाला था इसलिए मुझे उसे कुछ गिफ्ट देना था मेरी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि इस वर्ष मैं उसे क्या तोहफा दूं क्योंकि हर वर्षमैं उसे कुछ ना कुछ गिफ्ट जरूर देता हूं। मैंने सोचा कि चलो इस बार मैं उसे घुमाने के लिए मनाली ले चलता हूं क्योंकि हम दोनों की शादी को हुए 4 वर्ष हो चुके हैं और इन 4 वर्षों में कंचन ने मेरा बहुत साथ दिया है, मैंने कंचन को बताया नहीं कि हम लोग मनाली घूमने के लिए जाने वाले हैं। एक दिन मैंने कंचन को कहा कि चलो आज हम लोग मूवी देख आते हैं, वह कहने लगी ठीक है हम लोग मूवी देख आते हैं, कंचन को मैंने अपने साथ गाड़ी में बैठा लिया, जब हम दोनों घर से निकले तो कंचन कहने लगी तुम मुझे आज कौन से थिएटर में लेकर जा रहे हो जो अब तक नहीं आया है। behan ko choda
Behan ko Choda > दुख में यौवन का सहारा
उसे कुछ पता ही नहीं चल रहा था कि हम लोग शहर से बाहर आ चुके हैं जब हम लोग काफी आगे आ गए तो वह मुझे कहने लगी तुम मुझे कहां लेकर जा रहे हो, मैंने उसे बताया नहीं मैं चुपचाप रहा मैंने उसे कहा तुम बस मेरे साथ बैठी रहो, वह कहने लगी लगता है आज तुम्हारा दिमाग सही नहीं है तुम पता नहीं कभी भी कोई फैसला ले लेते हो मुझे तो कुछ पता ही नहीं चलता। हम लोग जब मनाली पहुंच गए तो कंचन को सारी बात समझ आ गई वह मुझे कहने लगी क्या तुम मुझे पहले नहीं बता सकते थे मैं अपने साथ कुछ भी सामान लेकर नहीं आई हूं, मैंने कंचन से कहा सामान हम लोग यहां भी खरीद सकते हैं मुझे तो तुम्हारे साथ अच्छा समय बिताना था घर पर तो हम लोगों को बात करने का अच्छे से मौका नहीं मिल पाता क्योंकि हमारे घर पर सब लोग होते थे, हमारी जॉइंट फैमिली है इसलिए मुझे और कंचन को एक साथ में ज्यादा समय नहीं मिल पाता था। हम लोगों ने मनाली में काफी अच्छा एंजॉय किया और मैं कंचन के साथ अच्छे से समय बिता पाया इतने लंबे अरसे बाद मुझे कंचन के साथ इतना अच्छा समय मिला था।
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मेरी मुलाकात कंचन से पहली बार एक ढाबे पर हुई थी मैंने कंचन को देखते ही पसंद कर लिया था और उसी वक्त मैंने सोच लिया था कि मुझे उससे शादी करनी है, हमारे शहर में एक बड़ा ही फेमस ढाबा है वहां पर सब लोग अक्सर खाना खाने के लिए आया करते हैं मैं भी उस वक्त वहां गया हुआ था मेरी नजर जब कंचन पर पड़ी तो मैंने उसे देखते ही पसंद कर लिया था उसकी तस्वीर मेरे दिल में छप चुकी थी हालांकि मुझे कंचन को ढूंढने में काफी समय लगा, जब मुझे पता चल गया तो मैंने अपने पापा मम्मी को कंचन के बारे में बताया और वह लोग मेरा रिश्ता लेकर कंचन के घर पर गए, कंचन के माता पिता ने कहा कि हम ऐसे ही किसी के साथ शादी नहीं कर सकते, उन लोगों ने भी हमारे परिवार की पूरी जानकारी पता करवाई उसके बाद जब वह पूरी तरीके से संतुष्ट हो गए तो उन्होंने कंचन का हाथ मेंरे हाथ में देने का फैसला कर दिया, अब हम दोनों की शादी की बात पक्की हो चुकी थी मैंने कंचन से मिलने की सोची, मैंने सोचा कि उससे भी मैं बात कर लेता हूं वह आखिर चाहती क्या है.
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मैंने कंचन से बात की तो कंचन ने मुझे कहा मुझे तो कोई भी दिक्कत नहीं है। हम दोनों शादी के लिए तैयार हो चुके थे और हम दोनों की शादी का दिन तय हो गया जिस दिन हम दोनों की शादी हुई उस दिन मैं बहुत खुश था क्योंकि कंचन के रूप में मुझे एक अच्छी दोस्त मिल गई थी चार सालों का मुझे कुछ भी पता नहीं चला। जब हम लोग घर लौटे तो सब कुछ बड़ा ही अच्छा था परन्तु आते ही मुझे एक बहुत ही बड़ी बुरी खबर मिली, मुझे मेरी मां ने कहा कि तुम्हारी बहन और तुम्हारे जीजाजी के बीच में बिल्कुल भी बन नहीं रही है इसलिए तुम्हारी बहन हमारे घर आ गई है, मैंने अपनी मां से कहा कि क्या आपने इस बारे में जीजा जी से बात नहीं की तो वह कहने लगी कि हम लोगों ने तो उसे बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन उसके दिमाग में ना जाने क्या बात है वह तो अब बिल्कुल भी तुम्हारी बहन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
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मैंने सोचा क्यों ना मैं अपनी बहन कनिका से बात कर लूँ, मैंने जब अपनी बहन कनिका से इस बारे में पूछा तो वह मुझे कहने लगी देखो तुम मुझसे उम्र में छोटे हो इसलिए तुम इन सब मसलों में ना ही पढ़ो तो ठीक होगा, मैंने उसे कहा मेरी भी शादी को हुए 4 वर्ष हो चुके हैं और मेरे और कंचन के बीच भी अक्सर झगड़े होते हैं लेकिन हम दोनों झगड़ों को एक दूसरे से बात कर के सुलझा लेते हैं, मैंने अपनी बहन कनिका से कहा तुम्हारी उम्र मुझसे ज्यादा हो सकती है लेकिन समझदारी में मैं तुमसे बड़ा हूं। वह चुप हो गई मैंने उससे कहा कि तुम मुझे बताओ कि आखिरकार तुम दोनों के बीच हुआ क्या है तो वह कहने लगी अमन तुम्हें तो पता ही है कि तुम्हारे जीजा जी का व्यवहार कैसा है, मैंने अपनी बहन कनिका से कहा की उनका व्यवहार जैसा भी हो लेकिन अब तुम्हारी शादी उनके साथ हो चुकी है और तुम्हें ही उनका ध्यान रखना है.
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वह कहने लगी मैं उनकी हर बात मानती हूं लेकिन ना जाने उन्हें मुझसे किस बात की परेशानी है और उनके परिवार वाले तो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं करते, मैंने कनिका से कहा तुमने क्या कभी उनसे बैठ कर बात करने की कोशिश की तो वह कहने लगी मैंने तो उनसे कई बार बात की लेकिन वह लोग मुझे कभी पूरी तरीके से स्वीकार ही नहीं कर पाए और हमेशा मुझ में कोई ना कोई गलती निकालते रहते हैं, मैंने कनिका से कहा देखो यह तो हर घर की बात है लेकिन तुम्हें अपने पति से तो इस बारे में बात करनी चाहिए थी की तुम्हारे बीच में दूरियां क्यो बढ़ रही है।
कनिका का मूड उस वक्त बिल्कुल भी ठीक नहीं था इसलिए मैंने उससे ज्यादा देर तक बात नहीं की, कंचन मुझसे पूछने लगी आखिरकार दीदी और जीजाजी के बीच ऐसा हुआ क्या है, मैंने कंचन से कहा कनिका ने मुझे अभी कुछ भी बात नहीं बताई है मैं काल इस बारे में उनसे बात करता हूं अभी उसका मूड भी ठीक नहीं है।
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घर में सब लोगों को बहुत चिंता हो रही थी कनिका की शादी को हुए 7 वर्ष हो चुके हैं लेकिन अभी उनकी कोई संतान नहीं है और शायद इसी की वजह से कनिका और उसके पति के बीच झगड़ा होता था लेकिन उसने कभी भी हम लोगों से नहीं बताया, मैंने भी सोचा कि चलो कल ही कनिका से बात कर ली जाए कि आखिरकार उसके पति उससे क्या परेशानी है और कनिका को उन लोगों से क्या दिक्कत है, घर में सब लोग तो बहुत ज्यादा चिंतित हैं और अगले दिन जब मैंने कनिका से इस बारे में बात की तो उसने मुझे सब कुछ बता दिया वह कहने लगी कि मेरे ससुराल वाले तो मुझे पहले से ही पसंद नहीं करते थे और अब उन्होंने तुम्हारे जीजाजी के लिए कोई दूसरी लड़की देखनी शुरू कर दी है.
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मैंने कनिका से कहा मैं आज ही जीजाजी से बात करता हूं। मैंने उसी वक्त जीजाजी को फोन किया और उनसे मिलने की बात की, वह मुझसे मिले तो मैंने उन्हें बहुत समझाया। वह कहने लगे देखो अमन तुम तो जानते ही हो परिवार के सब लोगों की उम्मीद होती है इस चीज को कनिका पूरा नहीं कर पा रही है इसलिए मुझे भी मजबूरी में किसी और के साथ शादी करनी पड़ रही है। मैंने अपनी बहन का कनिका को समझाया और उसे कहा कि चलो तुम उन्हे भूल जाओ। कुछ दिनों बाद दोबारा से मैंने उसके पति से भी बात की लेकिन वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। कनिका पूरी तरीके से टूटने लगी थी वह घर के कोने में बैठी रहती। मैं जब भी उसे देखता तो मुझे बहुत बुरा लगता लेकिन मैं कुछ कर भी नहीं सकता था क्योंकि उसके पति ने साफ तौर पर मना कर दिया था। कनिका हर चीज के लिए तड़पने लगी थी एक तो वह अकेली हो चुकी थी और दूसरा उसे अपने पति की कमी खल रही थी। एक दिन मैंने देखा उसने अपने सलवार के अंदर हाथ डाला हुआ है और अपनी चूत को अपनी उंगलियों से सहला रही है।
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मैं यह सब दरवाजे के पीछे से देखता रहा उसे मजा आ रहा था वह उंगली डालने में इतनी खो गई उसे कुछ पता ही नहीं चला। मैंने जब उसके कंधे पर हाथ रखा तो वह बहुत घबरा गई उसने अपने हाथ को बाहर निकाल लिया। मैंने दरवाजे को बंद कर लिया कनिका और मैं साथ में बैठे हुए थे मैंने कनिका को समझाया तो वह कहने लगी तुम्हें तो पता है कि यह सब कितना जरूरी है। मैंने उसकी सलवार को नीचे किया तो उसकी चूत गिली हो रखी थी मैंने जब अपने हाथ से उसक चूत को रगडना शुरू किया तो वह मचलने लगी। मुझसे भी बिल्कुल कंट्रोल नहीं हुआ मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया उसने मेरे लंड को देखते ही अपने मुंह के अंदर ले लिया और संकिग करने लगी। मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर सटाया तो वह मचलने लगी।
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मैंने भी धक्का देते हुए उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया मेरा लंड उसकी चूत की गहराइयों में चला गया वह तड़पने लगी और कहने लगी तुम और भी तेजी से मुझे धक्के देते रहो। मैं बड़ी तेज गति से उसे धक्के दे रहा था वह भी लगातार अपने मुंह से सिसकियां ले रही थी। हम दोनों इतने ज्यादा एक दूसरे मे खो गए कि हमें कुछ पता ही नहीं चला। मैं भी उसके साथ सेक्स करके बहुत खुश था जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो मेरा वीर्य एकदम से कनिका के स्तनों पर गिर गया। वह कहने लगी तुमने आज तो मेरी इच्छा पूरी कर दी लेकिन आगे मेरा कौन ध्यान रखेगा मैंने कनिका से कहा मैं आज के बाद तुम्हारी जरूरतो का ध्यान रखुगा। वह कहने लगी मुझे आज अच्छा लग रहा है.
मैं जब भी उसकी बड़ी गांड (moti gand) और उसके स्तनों (big boobs) को देखता तो मैं रह नहीं पाता और ना चाहते हुए भी उसके साथ सेक्स करता।